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वित्तीय नियोजन एवं निवेश के बारे में भारत की सर्वप्रथम हिंदी वेबसाइट "पैसा प्लानर डॉट कॉम - आपका पैसा, आपकी प्लानिंग" में आपका स्वागत है


वित्तीय नियोजन एवं निवेश के बारे में भारत की सर्वप्रथम हिंदी वेबसाइट में आपका स्वागत है!

"राग वामदत्त डॉट कॉम - फिनान्सिअल प्लानिंग डीमिसटीफाइड" वेबसाइट नवम्बर २००७ से पाठकों को धन के निवेश एवं वित्तीय नियोजन के बारे में शिक्षित कर रही है।

अब तक यह जानकारी केवल अंग्रेज़ी में ही उपलब्ध थी। परन्तु अब, राग वामदत्त डॉट कॉम में प्रकाशित लेख हिंदी में भी उपलब्ध हैं। अब तक अंग्रेज़ी में लिखे गए लेखों का हिंदी में अनुवाद करके एक साथ प्रकाशन किया जा रहा है। आगे जाकर सभी लेख अंग्रेज़ी एवं हिंदी में एक साथ प्रकाशित होंगे।

कृपया ध्यान दीजिये कि इन लेखों का अनुवाद किसी सॉफ्टवेर या tool का प्रयोग करके नहीं किया गया। हर एक लेख का अनुवाद पूरा ध्यान दे कर किया गया है, ताकि आपको निवेश सम्बन्धी जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध हो।

मुझे आशा है कि आप को यह लेख हिंदी में उतने ही अच्छे लगेंगे जितने आप को अंग्रेज़ी में पसंद आए हैं। यदि आप को इस हिंदी वेबसाइट में कोई वस्तु पसंद नहीं आए, या आपको लगता है कि किसी लेख का अनुवाद ठीक तरह से नहीं किया गया, कृपया मुझे अपनी टिप्पणियों के द्वारा बताएं। आप मुझे ईमेल के द्वारा भी संपर्क कर सकते हैं

धन्यवाद।

राग वामदत्त
२ नवम्बर २००९

नोट: राग वामदत्त डॉट कॉम के लेखों को हिंदी में अनुवाद करने का सुझाव मुझे "दैनिक भास्कर" में काम करने वाले श्री ऐ. जयजीत ने दिया है। इस के लिए मैं तहे-दिल से उनका आभारी हूँ।


वेबसाइट का परिचय

इस वेबसाइट में लिखे लेखों के द्वारा मैं अपने दस साल से ज़्यादा के निवेश नियोजन (इनवेस्टमेंट प्लानिंग / investment planning), वित्तीय नियोजन (फिनान्सिअल प्लानिंग / financial planning) एवं निवेश (इनवेस्टमेंट / investment) के अनुभव को आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूँ।

मैं बहुत ही रसप्रद समय में बड़ा हुआ हूँ - वह समय, जब भारत ने निवेश को लेकर कई अच्छे बदलाव देखे।

एक समय था जब भारत में निवेश के लिए बहुत सीमित माध्यम थे - जीवन बिमा के लिए था भारतीय जीवन बिमा निगम (LIC), म्यूचुअल फंड के लिए था यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (UTI) और सामान्य बिमा के लिए थी ४ सार्वजनिक क्षेत्र की बिमा कंपनियां।

इसके अलावा उपलब्ध थे वही पुराने ज़माने के माध्यम - अवधि डिपॉजिट (फिक्सड डिपॉजिट / fixed deposit / FD) और सरकारी माध्यम, जैसे कि नेशनल सविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), नेशनल सविंग्स स्कीम (NSS), किसान विकास पत्र (KVP), जो कि बिना किसी जोखिम के तय आय देते थे।

उस ज़माने में कर-नियोजन (टैक्स प्लानिंग / tax planning) का मतलब था LIC, PPF और NSC में निवेश करना!

भारत में वित्तीय क्षेत्र एवं निवेश के माध्यम क्रमशः बढ़ते गए। अब, हमारे पास हर एक क्षेत्र में निवेश के न केवल कई माध्यम हैं, बल्कि हजारों चीज़ें बेचने के लिए सैकडों कम्पनियाँ हैं!

जहाँ एक ज़माने में निवेश के गिने-चुने विकल्प ही थे, आज विकल्पों की भरमार के कारण निवेश का सही विकल्प चुनना कठिन हो गया है!

इसी कारण निवेश के विशेषज्ञों कि सलाह की ज़रूरत भी लगने लगी है। ज़रूरत है एक ऐसे विशेषज्ञ की, जो निवेश, कर, बिमा, म्यूचुअल फंड, आदि विषयों के बारे में आपको सरल भाषा में समझा सके।

यह वेबसाइट इसी दिशा में मेरा एक विनम्र प्रयत्न है।


सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) एकमुश्त रकम के निवेश से बेहतर रिटर्न क्यों देता है?

एक प्रश्न जो की सामान्यतः पूछा जाता है – क्या एकमुश्त निवेश एसआईपी से बेहतर रिटर्न नहीं दे सकता? इसमें मेरा जवाब है बिलकुल दे सकता है! आप चौंक गए न? चौंकिए मत, क्यूंकि यह हाँ एक बहुत बड़ी अस्वीकृति के साथ आई है! मैं आपको बताता हूँ कैसे – एक मुश्त निवेश आपको बेहतर रिटर्न दे सकता है बशर्ते की यह सही समय पर किया गया हो।

इसका अर्थ यह है की आपका निर्णय दो बार सही होना चाहिए – पहला खरीद के समय और दूसरा बिक्री के समय। यदि आप बहुत नीचे के मूल्य पर खरीदते हैं तथा बहुत ही उच्च मूल्य पर बेचते हैं तो ही निश्चित तौर पर आप बेहतर रिटर्न पा सकते हैं।

अब स्वाभाविक प्रश्न यह है की क्या यह दो निर्णय आप हमेशा सही समय पर ले सकते हैं? बिलकुल नहीं – और न केवल आपके और मेरे जैसे छोटे निवेशक, बल्कि पेशेवर निवेशक भी हमेशा निवेश एवं बिक्री के लिए सही समय का अनुमान नहीं लगा सकते हैं।

ऐसा समय एक या दो बार संयोग से अवश्य आ सकता है परन्तु यह जरुरी नहीं है के ऐसा संयोग निरंतर होता रहे – क्यूंकि कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता की बाज़ार कितना ऊपर और कितना नीचे जायेगा।

हालांकि सैद्धांतिक रूप से एकमुश्त निवेश बेहतर रिटर्न अर्जित करने योग्य है, व्यावहारिक रूप से सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट योजना ही सबसे अच्छा उपलब्ध विकल्प है।

यदि आप ऐतिहासिक आंकड़ो को देखेंगे तो पाएंगे के म्यूचुअल फंड और इक्विटी के द्वारा दिया जाने वाला रिटर्न या तो इसके ऊपर होगा या नीचे और यह सदैव उसी समय में किये गए सिप की तुलना में बेहतर होगा। (और इसलिए मैंने कहा कि सैद्धांतिक रूप से, यह संभव है की एकमुश्त निवेश बेहतर रिटर्न दे सकता है)  लेकिन याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है की जब आप ऐतिहासिक आंकड़ो का विश्लेषणकरते हैं तो आपको पता होता है के फंड ऊपर कब रहा और नीचे कब – परन्तु वास्तविक समय में जब आप इसे बेचते या खरीदते हैं तो आप को यह मालूम नहीं होता की यह भविष्य में क्या रूप लेगा?

सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में निवेश करने के लिए उपलब्ध विकल्प

अब तक आप समझ गए होंगे के आपको एसआईपी का उपयोग कर के ही निवेश करना चाहिए। आइये अब एसआईपी में उपलब्ध विभिन्न विकल्पों के बारे में समझते हैं।

मैंने मौटेतौर पर एसआईपी को दो वर्गों में विभाजित किया है: नियमित एसआईपी और माइक्रो एसआईपी

नियमित एसआईपी

जैसा की हम इन्हें जानते हैं, ये पारम्परिक एसआईपी हैं और इनकी विशेषताएं निम्न हैं:

  • निवेश की न्यूनतम राशि 500 रुपये से शुरू होती है और इसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है
  • आमतौर पर इसमें कोई निकास भार (exit load)  नहीं  है
  • इनमे कोई लॉक-इन समय अवधि नहीं होती है
  • सभी निवेश विकल्प खुले हैं : विकास, लाभांश और पुनर्निवेश
  • सभी म्यूचुअल फंड गृह (houses) एसआईपी का विकल्प उपलब्ध कराते हैं

माइक्रो एसआईपी

ये एसआईपी की नई उपज है। ये मुख्यतः उन लोगो के लिए है जो अपनी बचत के एक बहुत छोटे से भाग को म्यूचुअल फंड में (और इसके द्वारा स्टॉक बाज़ार में) निवेश करना चाहते हैं।

इनकी विशेषताएं निम्न हैं :

  • निवेश 50 रूपए से शुरू किया जा सकता है
  • इसमें आमतौर पर लोंक -इन समय अवधि 3 से 5 वर्ष की होती है। इसका अर्थ है आपको इतने समय के लिए नियमित रूप से प्रत्येक माह निवेश करना पड़ेगा।
  • इसमें आमतौर पर विकास विकल्प ही उपलब्ध होता है
  • रिलायंस म्यूचुअल फंड और आईसीआईसीआई म्युचुअल फंड ने इसमें शुरुआत की है

तो आपने देखा माइक्रो एसआईपी में कई सीमायें हैं। पर क्या वे उतनी बुरी हैं? मेरी राय में नहीं – क्यूंकि उपरोक्त सीमाओं के कारण ये आपको म्यूचुअल फंड में लम्बे समय के लिए निवेश करने को बाध्य करते हैं। और इसी प्रकार का लम्बे समय का निवेश इक्विटी म्यूचुअल फंड में किया भी जाना चाहिए!

यह बैंक में किये जाने वाले  आवर्ती जमा  (recurring deposit)  से अलग नहीं है, जो की आपको छोटे मासिक भुगतान निवेश की ओर अग्रसर करती है, और जिसमे समय से पहले पूंजी निकलने पर दंड स्वरूप कुछ रकम काट ली जाती है। इसमें केवल यही एक अंतर है की माइक्रो सिप आवर्ती जमा की तुलना में कहीं ज्यादा अच्छा रिटर्न दे सकता हैं!

एसआईपी में कैसे निवेश करें?

चलिए एक और महत्वपूर्ण प्रश्न इसमें और जोड़ते हैं: आपके पास कितने एसआईपी होने चहिये? क्या आपको कुछ गिने चुने अच्छे म्यूचुअल फंड की योजना में ही निवेश करना चाहिए, या फिर ढेर सारे सिप में?

मेरी राय में आपको 3-4 अच्छे डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड (diversified equity mutual funds) में निवेश करना चाहिए। यदि आपके पास निवेश करने के लिए 3000 रुपये हैं तो आपको 3 अच्छे इक्विटी डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड में 1000 रुपये लगाने चहिये, और यदि आपके पास 10,000 रुपये हैं तो प्रत्येक इक्विटी डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड में 3000-4000 रुपये लगाने चाहिए।

यह उन लोगो के लिए थोडा अलग हो सकता है जिन्हें थोडा ज्यादा जोखिम लेने से गुरेज नहीं है। अगर आप इस वर्ग में आते हैं तो आप किसी अच्छे इक्विटी डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड के साथ ही किसी अच्छे मिड -कैप केन्द्रित म्यूचुअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं।

वे लोग जो इससे कहीं जयादा जोखिम उठाने योग्य हैं वे  किसी सेक्टर फंड में भी  निवेश कर सकते हैं (हालाँकि मैं व्यक्तिगत रूप से इसकी सलाह नहीं देता)। बाज़ार में उपलब्ध कई म्यूचुअल फंड किसी सेक्टर विशेष पर केन्द्रित होते हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ उर्जा (energy) पर तो  कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) सेक्टर पर या फिर सूचना तकनीक (information technology) पर।

यह लेख म्युचुअल फंड (एमएफ – MF) के निवेशकों के लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्प - विकास (growth), लाभांश (dividend) और लाभांश पुनर्निवेश (dividend reinvestment) के बारे में बताता है। यह लेख पाठकों को सबसे उपयुक्त विकल्प के बारे में गाइड करता है।

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इस लेख में जीवन बीमा के महत्व पर जोर दिया गया है। यह लेख यह बताता है कि हम में से अधिकांश लोगों को जीवन बीमा क्यों खरीदना चाहिए। यह लेख बीमा सम्बन्धी विविध शब्दों की व्याख्या भी करता है।

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