भारतीय दुनिया के सबसे बड़े सोने के खरीदार हैं। आइये कुछ तथ्य देखते हैं:

  • भारतीयों ने वर्ष 2006 में 700 टन से अधिक सोना खरीदा है

  • सोने की वार्षिक वैश्विक मांग में 18% हिस्सा भारत का है

  • भारतीयों के पास आभूषण के रूप में 14,000 टन से अधिक सोना है यह पूरी दुनिया में सोने के भंडार का लगभग 10% है!

  • अमरीका, फ्रांस और जर्मनी कि सरकारों के पास कुल जितना सोना है उससे ज्यादा सोना भारतीयों के पास है!

सभी निवेशकों का कुछ निवेश सोने में होना बहुत महत्वपूर्ण और वांछनीय है। ( सोने में निवेश के बारे में अधिक पढ़ने के लिए कृपया पढ़ें सोने (Gold) की चमक कभी फ़ीकी नहीं पड़ती“)

लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि  सोने में कितना निवेश करना चाहिए?

(सजावटी महत्व के लिए सोने की खरीद और एक निवेश के रूप में सोने की खरीद के बीच अंतर है। इस लेख में मैं निवेश के रूप में सोने की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ)

तथ्यों के अनुसार भारत में सोने में अधिकांश निवेशआभूषण के रूप में है। लेकिन यह सोने में निवेश का सबसे अच्छा तरीका नहीं है।

आइये देखते हैं क्यों।

आभूषण बनाने का शुल्क (Making Charges)

जब आभूषण बनाया जाता है, जौहरी आभूषण बनाने का एक मोटा शुल्क लेता है। यह 100 रुपये प्रति ग्राम से लेकर 200 रुपये प्रति ग्राम तक हो सकता हैं। (आम तौर पर नोन-हालमार्क (non-hallmark) स्वर्ण – जिसकी शुद्धता हमेशा संदिग्ध रहती है – के मामले में कम शुल्क लागू होता है)।

चलिए मान लेते हैं कि बनाने का शुल्क 150 रुपये प्रति ग्राम है। सोने की कीमत 1500 रु प्रति ग्राम के साथ यह 10% बहुत ज्यादा है! इसका मतलब यह है कि यदि आप 100 रु का निवेश करना चाहते हैं तो आपका वास्तविक निवेश सिर्फ 91 रु का होगा!

तरलीकरण (Liquidation) शुल्क

चलिये अब उस समय की बात करते हैं जब आप अपने पास के सोने को बेच कर इसका नकदीकरण करना चाहते हैं। यदि यह आभूषण के रूप में है, तो आपको पिघलाने के शुल्क” (melting charge) या पिघलने का घाटाके रूप में कुछ शुल्क चुकाना होगा। और यह कुल मूल्य का लगभग 5% होता है।

शुद्धता (Purity)

आभूषणों में इस्तेमाल किया गया सोना 22 कैरेट या कम का होता है। इसका मतलब यह है कि आभूषण के वजन का कुछ हिस्सा सोने का है ही नहीं! आप सोने में निवेश करना चाहते हैं, धातुओं के मिश्रण में नहीं – है ना? तो ऐसा कुछ क्यों खरीदे जो शुद्ध सोने का नहीं है?

प्रामाणिकता (Authenticity)

जब सोना आभूषण के रूप में ख़रीदा जाता है तब वह एक साधारण जौहरी से खरीदा जाता है। इसका मतलब यह है कि सोने की गुणवत्ता के लिए आप पूरी तरह उस जौहरी की विशेषज्ञता और ईमानदारी पर भरोसा करते हैं। जब हालमार्क सोने का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, वहाँ सोने की शुद्धता का कोई प्रमाणपत्र नहीं होता है। और इसका मतलब है कि आपको एक भारी सदमा लग सकता है जब आप अपने सोने को बेचना चाहते हैं!

क्या है आपका निर्णय?

तो, सोने में निवेश करना कैसा लग रहा है? 10% बनाने का शुल्क, 5% पिघलाने का शुल्क, और ऊपर से संदिग्ध गुणवत्ता!

क्या आपने कभी ऐसे म्युचुअल फंड (एमएफ) (Mutual Fund – MF) में निवेश किया है, जो 10% प्रवेश शुल्क (entry load) और 5% निकास शुल्क (exit load) लेता है, और जिसकी निवेश की गुणवत्ता संदिग्ध है? बिल्कुल नहीं, क्योंकि यह बेवकूफी होगी! उसी तरह, आभूषण के रूप में सोने में निवेश में भी बुद्धिमानीनहीं है। वास्तव में सोने में निवेश का यह सबसे खराब तरीका है (इसके कारणों की चर्चा हमने अभी कि है)।

कैसे करें सोने में निवेश?

तो, सोने में निवेश कैसे करना चाहिए? इसके कई विकल्प हैं:

1. सोने के सिक्के (gold coins)

2. सोने की छड़ (gold bars)

3. स्वर्ण Exchange Traded Fund (ETF – ई टी फ़)

इनमें से प्रत्येक गहने खरीदने से बेहतर है। बेशक, हर एक पद्धति की अपनी अच्छाई और बुराई है। लेकिन इसे हम देखेंगे लेख “कैसे खरीदें सोना” में।

(Visited 1,854 times, 1 visits today)